सन् 1857 का विप्लव

सन् 1857 का विप्लव

सन् 1857 का विप्लव

            भारत के प्रायः सब नेता अंग्रेजों के स्वर में स्वर मिलाकर सन् 1857 के विप्लव को Munity (गदर) ही लिखते व कहते आये हैं। महर्षि दयानन्द प्रथम भारतीय नेता व विचारक थे, जिन्होंने सन् 1878 में अपने जालंधर के एक भाषण में इसे विप्लव कहकर लखनऊ में अंग्रेजों के अत्याचारों की घोर निन्दा की। वीर सावरकर का ग्रन्थ Our First war of Independenceतो बहुत बाद में आया। आर्य समाज ऋषि-जीवन की इस घटना को मुखरित ॥ Highlight न करने का दोषी है। केवल पं. लेखराम जी, पं. लक्ष्मण जी के ग्रन्थों में यह छपी मिलती है। मैं आर्य मात्र से इसको मुखरित करने की विनती करता हूँ।
           सर सैयद अहमद खाँ ने भी 'गदर के असबाब' पुस्तक लिखी। पं. कन्हैयालाल अमेठी ने भी उर्दू में इस पर एक ग्रन्थ लिखा, जिसके कई संस्करण छपे थे। एक संस्करण पर 'मुंशी कन्हैयालाल' छपा पढ़कर मैंने कन्हैयालाल अलखधारी जी को इसका लेखक समझ लिया। यह मेरी भूल थी। मिलान किया तो पता चला कि पृष्ठ संया बदल गई है, लेखक कन्हैयालाल ही हैं। ऐसी पुस्तकें और भारतीय लेखकों नेाी लिखीं। ऋषि जी के साहस, शौर्य का मूल्याङ्कन तो कोई करे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दुर्गा भाभी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों

Why our children are more prone towards suicides

मनुष्य का आत्मा कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में परतंत्र है