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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या#दूध#मांसाहार है?#आचार्य#आर्य#नरेश जी की चेतावनी, #वैदिक_राष्ट्र#ary...

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“हमारा अनादि व शाश्वत सखा है ईश्वर”

“हमारा अनादि व शाश्वत सखा है ईश्वर” हमें मनुष्य का जन्म मिला और हम जन्म से लेकर अब तक अपने पूर्व जन्मों सहित इस जन्म के क्रियमाण कर्मों के फल भोग रहे हैं। हम जीवात्मा हैं, शरीर नहीं है। जीवात्मा चेतन पदार्थ है। चेतन का अर्थ है कि यह जड़ न होकर संवेदनशील है और ज्ञान प्राप्ति एवं कर्म करने की सामर्थ्य से युक्त है। यह सुख व दुःख का अनुभव करता है। जीवात्मा अल्प परिमाण अर्थात् सूक्ष्म, एकदेशी व ससीम सत्ता है। यह अनादि व अमर है। जीवात्मा का कभी नाश अर्थात् अभाव नहीं होता, अतः इसे अविनाशी कहा जाता है। जीवात्मा अपने शरीर की इन्द्रियों यथा नेत्र तथा मन आदि की सहायता से स्थूल जड़ पदार्थों को देखता है परन्तु स्वयं अपने को अर्थात् अपनी आत्मा व सृष्टिकर्ता ईश्वर को नहीं देख पाता। कारण यही है कि जीवात्मा अत्यन्त सूक्ष्म है और परमात्मा आत्मा से भी सूक्ष्म अर्थात् सूक्ष्मतम है। हम वायु, जल की भाप, वायु में विद्यमान गैसों, धूल के सूक्ष्म कणों तथा दूर के पदार्थों को नहीं देख पाते। अतः यदि हम अपनी व दूसरों की आत्माओं तथा परमात्मा को नहीं देख पाते तो इसमें आश्चर्य नहीं करना चाहिये। किसी भी पदार्थ व उ

वैदिक त्रैतवाद

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वैदिक त्रैतवाद ईश्वर -जीव-प्रकृति सृष्टि के तीन तत्त्व         ओ३म् शन्नो मित्रः शं वरुणः शन्नो भवत्वर्यमा। शन्न इन्द्रो बृहस्पतिः शन्नो विष्णुरुरुक्रमः।। नमो ब्रह्मणे नमस्ते वायो त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि। त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि। ऋतं वदिष्यामि सत्यं वदिष्यामि। तन्मामवतु तद्वक्तारमवतु अवतु माम् अवतु वक्तारम्। ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।        मंच पर आसीन विद्वद्गण एवं अधिकारीगण, सभा में उपस्थित धर्मप्रेमी बन्धुओं एवं मातृशक्ति मैं आप लोगों के सामने अपने कुछ विचार प्रकट करना चाहता हूं। मेरे इन विचारों को कई शास्त्रकारों ने प्रमाणित किया है। आशा करता हूं कि आप लोग भी मेरे इन विचारों से सहमत होंगे। प्रकृति        विविधता वाली सम्पूर्ण विशाल सृष्टि में तीन ही तत्त्व होते हैं- ईश्वर, जीव, प्रकृति। इनमें से प्रकृति सत्स्वरूप है, जीव सच्चित्स्वरूप है, ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप है। अब हम एकेक करके इन सबका विस्तृत विश्लेषण करेंगे।        सबसे पहले प्रकृति को लेते हैं :- सत् स्वरूप वाली प्रकृति जड़ है। इस जड़ प्रकृति में सत्त्व-रजस्-तमस् नामक तीन तत्त्व अलग-अलग बिखर

ब्रिटिश बंदूक और भारतीय सन्यासी का सीना

ब्रिटिश बंदूक और भारतीय सन्यासी का सीना ठीक आज से 100 वर्ष पहले साल 1919 मार्च का महीना था। देश पर विदेशी शासन था और भारतीय नागरिक गुलामी की जिन्दगी जीने को मजबूर थे। हालाँकि देश में जगह क्रांति के अंकुर फूट चुके थे पर अंग्रेजी सरकार उन अंकुरों को अपने विदेशी बूटों से कुचल भी रही थी। ऐसे माहौल में एक अंग्रेज अधिकारी जिनका नाम था सर सिडनी रौलेट उनकी अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर काला कानून (रॉलेट ऐक्ट) बनाया गया। यह कानून देश में स्वतंत्रता के उभरते स्वर को दबाने के लिए था। इसके अनुसार अंग्रेजी सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए उसे जेल में बंद कर जो जुल्म चाहे कर सकती थी। इस कानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया था। यूँ तो इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन होने लगे। ये राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक उथल-पुथल का युग था। अधिकांश भारतीय मौन थे लेकिन आर्य समाज के सिपाही उस समय सीना ताने अंग्रेजी सरकार के सामने ख

स्कूलों में बच्चे कितने सुरक्षित हैं

स्कूलों में बच्चे कितने सुरक्षित हैं एक समय था जब स्कूलों में छात्रों के आपसी झगडे में या तो किताब कॉपी के एक दो पन्ने फट जाते थे या स्कूल ड्रेस का कोई बटन या हुक टूट जाया करता था। इसकी सजा के रूप में स्कूल में दोनों को मुर्गा बनकर और घर में अलग से मार खानी पड़ती थी। पर आज ऐसा नहीं रहा, यदि अखबारों की खबरें देखें तो अब स्कूलों में आपसी झगडे का नतीजा हत्या, हिंसा के रूप में देखने को मिल रहा है और माता-पिता बच्चों के अपराध करने के जुर्म में कोर्ट के चक्कर काटते दिखाई दे रहे है। अभी की ताजा घटना देखें तो देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में एक बारह साल के बच्चे की निर्मम हत्या से एक बार फिर शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले स्कूल के दामन पर खून के धब्बे दिखाई दे रहे है। इस हत्याकांड में स्कूल प्रबन्धन पर भी सवाल उठ रहे है। सातवीं वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र वसु यादव को दो 12वीं के छात्रों ने क्रिकेट बैट से पीट-पीटकर मार डाला और आश्चर्य की बात ये है कि स्कूल प्रशासन ने बिना किसी को बताए यहां तक कि बच्चे के अभिभावकों को भी बिना बताए बच्चे को स्कूल परिसर में ही दफना दिया। इससे फिर यह सवाल ख

विष्णु गणेश पिंगले

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विष्णु गणेश पिंगले        १८८८ में महाराष्ट्र के पुणे जनपद में जनपद में जन्मे अमर क्रांतिकारी विष्णु गणेश पिंगले ९ भाई बहनों में सबसे छोटे एवं सभी के दुलारे थे| विद्यालयी जीवन में ही वे राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रभाव में आ गए और स्वतंत्र्य वीर सावरकर के साथ बढ़ चढ़ कर इनमे भाग लिया| इस समय पर पढ़े प्रभाव ने पिंगले पर अमिट छाप छोड़ी और बाद में जब वे मुंबई गए तो अनेकों राष्ट्रवादियों से उनका परिचय हुआ और यहीं उन्होंने विस्फोटकों पर काम करना सीखा| चूँकि उनकी इच्छा इंजीनियर बनाने की थी अतः इस उद्देश्य से वे अमेरिका गए और १९१२ में वाशिंगटन यूनिवर्सटी में मेकैनिकल इंजीनियर की पढाई के लिए प्रवेश लिया| शीघ्र ही वे ग़दर पार्टी के संपर्क में आ गए और उसके सक्रिय सदस्यों में गिने जाने लगे| प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों को फँसा देख इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए ग़दर पार्टी ने भारत के क्रांतिकारियों से संपर्क कर विदेश सत्ता को उखाड़ फेंकने हेतु योजना पर काम करना शुरू किया और इस हेतु ग़दर पार्टी के कई वरिष्ठ लोग जिनमें करतार सिंह सराबा, पिंगले, सत्येन सेन आदि शामिल हैं, १९१४ में कलकत्ता पहुंच

Why our children are more prone towards suicides

Why our children are more prone towards suicides In the meantime, on December 6, there was news of Babri structure, the AgustaWestland scandal to Mallya's confession and CBI dispute in the newspaper to discuss or debate with anyone, but there was a small news in the meantime that the due to scared of scolding by his class teacher- A class VII student allegedly committed suicide in Indrapuri area of Delhi. For a moment, it has appeared just like a general news, but in the second moment suddenly a question arose that just because of the scolding of teacher the student has committed suicide. This news took me to an old and tragic memory when several years ago in my village, one boy of class X residing in my neighborhood had committed suicide because his father had scolded him on his failure in Metric. One more such incident happened last year in Anuppur district of Madhya Pradesh, where a 10th student hurled by the principal's scolding- committed suicide. After this and I r