विज्ञान और धर्म में अंतर जरूरत किसकी

         प्रकृति सबके लिए एक समान है अंतर इतना है कि विज्ञान प्रकृति के नियमों को प्रमाण सहित समझने में सफल रहा जबकि धर्म वाले नियमों को समझने की बजाय ईश्वर ,अल्लाह, गॉड को पैदा कर पल्ला झाड़ लिए , हर नियम के लिए इन तथाकथित ईश्वर को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी अपनी दुकान चलाते रहे। जहां तक साइंस की बात है वह प्रकृति के नियमों को ढंग से समझने के कारण ही आपको यूट्यूब ,फोन, इंटरनेट ,बच्चों की जिंदगी, मेडिकल, हॉस्पिटल ,टीवी ,कार, ट्रेन , प्लेन दे सका।

        आज विज्ञान की फैक्ट्री ही है जो कपड़े तक दे रही है पहने को। जिंदगी की औसत आयु 27 साल थी,1947 में, भुखमरी थी। जबकि आज औसत आयु 58 से 60 साल हो चुकी है इतनी जनसंख्या (population) के बाद भी भूखमरी से राहत है। बच्चे 10 पैदा होते थे बचते चार या पांच थे आज दो ही हो रहे हैं और दोनों ही बचा लेने में कामयाब रहा है साइंस।

       धर्म वाले इतने पैगंबर अवतार का ढोल पीटने के बाद भी बिजली तक न बना सके। धर्म में इंसान को क्या दिया? कट्टरता जो बात बात में उत्पन्न कर हिंसा , दंगे में परिवर्तित होकर जान ले लेती है। जातिवाद, वर्गवाद ,गोत्रवाद ,भाषावाद , शोषण , ईश्वर , अल्लाह , गॉड की गुलामी।धर्म वाले हजारों सालों में सिवाय अपने अल्लाह ईश्वर गॉड को खुश करने के और करवाने के और क्या दिए मानव सभ्यता को।

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