डिग्रियां


     एक व्यक्ति खूब पढ़ा लिखा है, अनेक डिग्रियां उसके पास हैं, फिर भी वह व्यर्थ की बातों पर बहुत अधिक सोचता है। ऐसी बातें जिनका कोई महत्व नहीं है, उन्हीं बातों को बार बार सोचता है, और अनेक प्रकार की चिंता करता रहता है।

     एक दूसरा व्यक्ति है, जो इतना अधिक पढ़ा लिखा नहीं है, परंतु वह यह समझता है कि कौन सी बात अधिक महत्वपूर्ण है और कौन सी उपेक्षा करने योग्य है! 

     इस ज्ञान के होने के कारण वह उपेक्षा करने योग्य छोटी-छोटी बातों पर कोई ध्यान नहीं देता, और जो महत्व की बातें हैं, उन पर पूरा चिंतन करता है, बुद्धिमत्ता से दूर तक सोचता है। उसके अनुसार भविष्य की योजनाएं बनाता है। सब काम पहले से विचार करके करता है। ऐसा व्यक्ति चाहे कम पढ़ा हुआ भी क्यों ना हो, वास्तव में वही ज्ञानी है। ऐसा व्यक्ति ही जीवन में सुखी हो सकता है। 

     ज्ञान का संबंध स्कूल कॉलेज की डिग्रियों से से नहीं है, वह तो ईमानदारी और बुद्धिमत्ता से हैं. बहुत पुस्तकें पढ़ लेने पर भी व्यक्ति अज्ञानी हो सकता है, रावण दुर्योधन और कंस इस बात के उदाहरण हैं। तो डिग्रियां आपके पास भले ही कम हों, आप कॉलेज के डिग्रीधारी भले ही ना हों, परंतु ज्ञानी अवश्य बनें, तभी आपका जीवन सफल होगा। यदि आप ज्ञानी भी हैं और आपके पास स्कूल कॉलेज या गुरुकुल की अच्छी-अच्छी डिग्रियां भी हैं, बस फिर तो सोने पर सुहागा है।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Why our children are more prone towards suicides

यदि हमारे पूर्वज युद्ध हारते ही रहे तो हम जिंदा कैसे हैं

वेदाध्ययन व वेद प्रचार से अविद्या दूर होकर विद्या वृद्धि होती है