मृतक श्राद्ध एक पाखण्ड

 मृतक श्राद्ध  एक पाखण्ड !

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     श्राद्ध और तर्पण के सत्य वैदिक स्वरूप को जाने... और अन्ध विश्वास को त्यागे...!!!

प्रिय बन्धुओं !
                  अपने हिन्दू समाज में अनेक भ्रान्त प्रथायें प्रचलित हैं । उनमें मृतकों का श्राद्ध भी एक बहुत ही विचित्र तथा भ्रान्ति पूर्ण प्रथा है । वास्तव में बहुत से लोगों ने पितर, श्राद्ध और तर्पण शब्दों के अर्थ का अनर्थ कर इनहें अपनी जीविका का साधन बना रखा है ।

   हम आपके सामने "पितर, श्राद्ध और तृपण" के वैदिक स्वरूप को रखेगें जिससे आप "मृतक श्राद्ध" रूपी पाखण्ड से बच सके और अपना व समाज का उपकार कर सके 

  महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के अनुसार...

"श्रत्सत्यं दधाति यया क्रियया सा श्रध्दा, श्रध्दया यत्क्रियते तच्छ्राध्दम्"

अर्थात् 
     जिससे सत्य को ग्रहण किया जाये उसको '' श्रद्धा "और जो-जो श्रद्धा से सेवारूप कर्म किये जाए उनका नाम श्राद्ध है ॥
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