मोक्ष प्राप्ति

   मोक्ष प्राप्ति का पूरा ज्ञान सत्यार्थप्रकाश के नवम् समुल्लास को पढ़कर किया जा सकता है। सभी मनुष्यों को मोक्ष के विषय में अवश्य जानना चाहिये और इसके लिए प्रामाणिक ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश ही है या वह ग्रन्थ हैं जहां से सत्यार्थप्रकाश की सामग्री का संकलन ऋषि दयानन्द जी ने किया था। 

    प्राचीन काल में हमारे समस्त ऋषि-मुनि, ज्ञानी व विद्वान सभी मोक्ष को सिद्ध करने के लिए वेद एवं वैदिक शास्त्रों के अनुसार साधना करते थे। अब भी कोई करेगा तो वह इस जन्म व कुछ जन्मों में मोक्ष को अवश्य प्राप्त कर सकता है क्योंकि वेद के ऋषियों ने जो सिद्धान्त दिये हैं वह उनके गहन तप, स्वाध्याय, साधना एवं ईश्वर साक्षात्कार के अनुभव के आधार पर हैं। ऋषि दयानन्द में यह सभी गुण विद्यमान थे, अतः उनके सभी सिद्धान्त भी प्रामाणिक हैं। 

       वेद व सत्यार्थप्रकाश आदि का अध्ययन करने के बाद यह तथ्य सामने आता है कि हम इस जन्म से पूर्व पिछले जन्म में कहीं मृत्यु को प्राप्त हुए थे। उस जन्म व उससे पूर्व कर्मों के भोग के लिए हमारा यह जन्म हुआ था। इस जन्म में भी वृद्धावस्था आदि में हमारी मृत्यु अवश्य होगी जिसे हम वेद आदि ग्रन्थों के अध्ययन से जानकर मृत्यु के भय से मुक्त हो सकते हैं। वेद स्वाध्याय, यज्ञ, दान, सेवा, साधना व उपासना से हम जीवनमुक्त अवस्था को प्राप्त कर व मोक्ष को प्राप्त होकर अभय व निर्द्वन्द हो सकते हैं।

    आईये, ईग्श्वरीय निर्भ्रान्त ज्ञान वेद व सत्यार्थप्रकाश आदि ऋषिकृत ग्रन्थों के स्वाध्याय का व्रत लें। उनमें निहित ज्ञान को प्राप्त कर साधना करें और मोक्ष प्राप्ति के साधनों को अपनायें। मृत्यु के भय से मुक्त होकर हम अन्यों में भी जीवन व मृत्यु के रहस्य का प्रचार कर उन्हें भी अभय प्रदान करें। 

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