कृण्वंतो विश्वमार्यम् सार्थक करे

 आओ मित्रों! हम सब मिलकर

कृण्वंतो विश्वमार्यम् सार्थक करे *

आप _हमारे समस्त मित्रों के लिए

एक आदर्श आचार संहिता

मित्रवर ! सादर नमस्ते

बंधुवर ! ईश्वर की असीम तथा महती कृपा से आप एक श्रेष्ठ मित्र के रूप में हमारे मित्र हैं।आपके हमारे अधिकांश मित्र वैदिक धर्म सिद्धांतों को जानने तथा मानने वाले हैं हम भी परस्पर और अधिक जाने तथा आत्मसात करें और अधिक से अधिक महानुभाव तक वैदिक ज्ञान पहुंचा कर धर्म, राष्ट्र तथा मानव जाति की रक्षार्थ अपना योगदान दे। तभी हमारी मित्रता सार्थक है।धन्यवाद

आपसे विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त बातों का विशेष ध्यान रखें।

१: वैदिक धर्म सिद्धांतों के विपरीत किसी भी प्रकार की मूर्ति पूजा, अवतारवाद,जन्मना जातिवाद , जादू टोना, चमत्कार, भविष्यफल तथा भविष्यवाणियां, गुरुडमवाद, विज्ञान विरुद्ध कपोल कल्पित पौराणिक दंत कथाओं आदि की गतिविधियां प्रचारित प्रसारित ना करें।

२: ईश्वर को जन्म लेने वाला अर्थात साकार रूप में प्रदर्शित करने वाले मूर्ति,चित्र आदि तथा अवतारवाद आदि की ऐसी कोई पोस्ट ना करें जिससे अंधविश्वास पाखंड फैलता हो।

३: जन्मना जातिवाद जो मनुष्य जाति का सबसे बड़ा अभिशाप होकर मनुष्य जाति के विघटन और इस देश की परतंत्रता तथा पतन का प्रमुख कारण है अत: इसे प्रचारित न करें व इसे समाप्त करने की दिशा में कार्य करें।

४: हमारा ऐसा मानना है की फिल्मों ने वैदिक धर्म संस्कृति के मूल्य तथा मानवीय सभ्यता कि रक्षार्थ योगदान कम और हानि अधिक पहुंचाई है। अत: फिल्मों से संबंधित किसी भी प्रकार की कोई पोस्ट ना करें।

५: गुरु शब्द का अर्थ है अज्ञान के अंधकार को दूर करने वाला। यह कार्य वही कर सकता है जो परमपिता परमात्मा के प्रदत्त ज्ञान वेद तथा वेद अनुकूल शास्त्रों का ज्ञाता हो किंतु वर्तमान में वेद ज्ञान विहीन गुरु घंटालो की बाढ़ आई हुई है इन्होंने सर्वाधिक धर्म संस्कृति की हानि की है तथा स्वयंभू भगवान बन बैठे हैं अतः हम गुरुडमवाद के पक्षधर नहीं है आप से भी अपेक्षा करेंगे कि आप भी इससे दूर रहें।

६: परमपिता परमात्मा ने हमें यह मनुष्य जीवन आध्यात्मिक उन्नति के लिए दिया है। आत्मा अजर अमर है तथा शरीर नाशवान है अतः हम शरीर के लिए आवश्यक कार्य ही करें तथा विशेष प्रयास आत्मिक उन्नति का करें। इस हेतु आवश्यक है कि हम सर्वाधिक पुरुषार्थ वेद ज्ञान अर्जित करने हेतु करें। सर्वप्रथम इसके लिए आवश्यक है कि हम शरीर के श्रंगार प्रदर्शन पर आवश्यकता से अधिक केंद्रित न रहे तथा इस सूचना क्रांति के माध्यम का उपयोग सर्वाधिक आध्यात्मिक उन्नति के प्रचार-प्रसार हेतु करें। यह विशेष ध्यान रखें व्यक्तिगत चित्र आदि का प्रदर्शन अनावश्यक रूप से ना करें।

७: मनु महाराज ने व्यवस्था दी है कि राजा वेद का ज्ञाता हो।राजनीति अत्यंत पवित्र तथा धर्म संस्कृति के लिए आवश्यक विषय है। राजनीति के बगैर राष्ट्र की सुदृढ़ता तथा संचालन संभव नहीं। और राष्ट्र के बगैर धर्म संस्कृति सुरक्षित नहीं । राजनीति तपस्या है किंतु वर्तमान में वेद ज्ञान विहीन शूद्र राजनीति ने देश, धर्म ,संस्कृति की दशा दिशा ही बदल कर रख दी है। ऐसी परिस्थिति में घृणा विद्वेष फैलाने वाली स्वार्थ परक राजनीति से संबंधित सूचना समाचारों को उसके परिणाम व मानवीय पक्ष को विचार करने के बाद ही प्रेषित करें।

८: वैदिक धर्म संस्कृति में मातृशक्ति का सम्मान तथा स्थान सर्वोपरि है। अतः मातृशक्ति के संबंध में प्रेषित किसी प्रकार के विचार तथा चित्र आदि में मातृशक्ति के सम्मान व स्थान की गरिमा बनाए रखें। अश्लीलता कतई स्वीकार्य नहीं है।

९: महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने मानव जाति की एकता हेतु एक भाषा पर जोर दिया है। जब तक संस्कृत भाषा अपनी गरिमा को पुनः प्राप्त नहीं कर लेती तब तक हम हिंदी भाषा को प्राथमिकता दें।

१०: मित्रवर! इस जगत में कोई व्यक्ति नहीं है जिसका कोई मित्र ना हो। प्राणी मात्र के जीवन में मित्र की प्रमुख भूमिका है। प्रत्येक मनुष्य को उसके माता-पिता सुसंस्कार देते हैं एक अच्छा सच्चरित्र व्यक्ति बनाने का प्रयास करते हैं कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को दुष्ट दुर्गुणी बनाना नहीं चाहते किंतु फिर भी मनुष्य में दोष दुर्गुण आ जाते हैं, कहां से आते हैं? मित्र ही वह माध्यम है जो माता पिता के दिए संस्कारों मैं और वृद्धि कर मनुष्य को एक सफलतम मनुष्य बना सकते हैं और मित्र ही वह माध्यम है जो माता-पिता के दिए संस्कारों को मिट्टी में मिला कर मनुष्य को पतन की राह पर धकेल सकते हैं। आपके मित्र प्रत्यक्ष जीवन में तथा सोशल मीडिया पर कैसे हैं?वे आपके वास्तविक मित्र हैं अथवा शत्रु इस का सूक्ष्म निरीक्षण करना आपका अपना दायित्व है।

११: हमारा ऐसा विश्वास है कि निष्क्रिय सदस्य स्वयं का कल्याण नहीं कर सकता तो वह धर्म संस्कृति तथा राष्ट्र की रक्षा कैसे कर पाएगा। अतः हम अपने मित्र से अपेक्षा रखेंगे कि वह समय सुविधानुसार सक्रिय रहे।

धन्यवाद

सहयोग की अपेक्षा में आपका मित्र

सुखदेव शर्मा

प्रकाशक वैदिक संसार मासिक पत्रिका


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