आज का वेद मंत्र

 ओ३म्  शं नो द्यावापृथवी पूर्वहूतौ शमन्तरिक्षं दृशये नो अस्तु ।शं न ओषधीर्वनिनो भवन्तु शं नो रजसस्पतिरस्तु जिष्णु:।(ऋग्वेद ७|३५|५)


अर्थ  :- पहले स्तुति किये हुए द्युलोक और पृथ्वी लोक हमारे लिए शान्तिदायक हो, सूर्य चन्द्रमा वाला अन्तरिक्ष हमारी नेत्र ज्योति के लिए शान्ति देने वाला हो, औषधियां- अन्नादि पदार्थ हमें शान्तिकारक हो,जगत् का स्वामी जयशील परमेश्वर हमें सदा शान्तिदायक हो ।


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