ज्ञानी और विद्यावान हो

 कोई कितना ही ज्ञानी और विद्यावान हो , यदि वह अपने आचरण में विद्या और ज्ञान का उपयोग नही करता तो वह मूर्ख ही नही महामूर्ख हैं। वह उस जानवर की तरह है जिस पर बहुत सी किताबें लदी होती है पर वह उन पुस्तकों के ज्ञान से लाभ नही उठा पाता। जैसे तपेली और कलछी को स्वादिष्ट व्यंजन के स्वाद का आनन्द नही मिलता। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दुर्गा भाभी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों

Why our children are more prone towards suicides

मनुष्य का आत्मा कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में परतंत्र है